Saturday 13 June 2015

कानून मंत्री की गिरफ्तारी मामले में सवाल ही सवाल...


दिल्ली के कानून मंत्री और आम आदमी पार्टी के त्रिनगर से विधायक जितेंद्र सिंह तोमर को साकेत स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट नवजीत बुद्धिराजा की अदालत ने तोमर को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजने उनकी गिरफ्तारी मामले ने एक साथ कई सवाल खड़े किए हैं। सवाल ये हैं कि क्या दिल्ली पुलिस ने कानून की जद में रहकर तोमर को गिरफ्तार किया? विधानसभा स्पीकर से पूछे बिना तोमर को क्यों गिरफ्तार किया गया? 'आप' विधायक की गिरफ्तारी में दिल्ली पुलिस पर कहीं केंद्र सरकार का तो दबाव नहीं था? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस गिरफ्तारी के बहाने केंद्र दिल्ली में तानाशाही जैसी स्थिति बनाने की कोशिश है? ये सवाल मेरे अपने नहीं बल्कि 'आप' नेताओं, वकीलों और पुलिस की ओर से उठाए गए सवाल हैं। इसी बीच करावल नगर से 'आप' के विधायक कपिल मिश्रा को तोमर के उत्तराधिकारी नियुक्त किए गए हैं।

छोटी-मोटी बातों पर धरना देने और दूसरों की फजीहत करने वाली 'आप' सरकार तोमर की फर्जी डिग्री मामले पर कमोबेश चुप्पी साधे हुए है। हालांकि, नैतिकता का हवाला देते हुए तोमर ने थाने से अपना इस्तीफा दे दिया, जिसे दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर घंटों चली बैठक के बाद स्वीकार कर लिया गया

इसी बीच मनीष सिसोदिया ने इस पूरे प्रकरण को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की एक रची हुई साजिश करार दिया। उन्होंने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि दिल्ली पुुलिस ने तोमर को जिस तरह बिना नोटिस गिरफ्तार किया, उससे तो ऐसा ही लगता है कि कानून मंत्री माफिया हैं या उन्होंने कहीं बम लगाया है। उपमुख्यमंत्री ने तो यहां तक कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली पुलिस पर दबाव डालकर दिल्ली में तानाशाही से आपातकाल जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रही है। 
 
यह कोई पहला मामला नहीं है जब केजरीवाल एंड टीम अपने विधायकों पर सवाल उठने के बाद हो-हल्ला मचा रही है। इससे पहले भी उत्तम नगर विधायक नरेश बाल्यान, बुराड़ी विधायक संजीव झा, मॉडल टाउन विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के अलावा अन्य मामलो में भी ऐसा कर चुकी है।
 
एक तरफ 'आप' जिसे एक साजिश करार दे रही है, वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि कानून मंत्री की गिरफ्तारी में कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर दीपक मिश्रा कहते हैं कि फर्जी दस्तावेज तैयार कराने वाले रैकेट तक पहुचने में यह गिरफ्तारी अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि, आम आदमी पार्टी की ओर तोमर के वकील एचएस फुल्का ने भी पुुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि तोमर को अरेस्ट करने से पहले सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि जब आरोपी कानून मंत्री जांच में सहयोग कर रहे थे तो पुलिस को बेवजह तमाशा करने की क्या जरुरत थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने भी इसे पुलिस का प्रपंच बताते हुए कहा कि तोमर मामले में हाईकोर्ट में दो केस लंबित चल रहे हैं। ऐसे में हाईकोर्ट को नजरअंदाज करते हुए पुलिस द्वारा आननफानन में तोमर को हिरासत में लेने का प्रपंच नहीं करना चाहिए था।
 
हालांकि, इस प्रकरण में केंद्र सरकार भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी गृह मंत्रालय पर आरोप लगाया और कहा कि मंत्रावय के इशारे पर ही पुलिस ने तोमर को हिरासतस में लिया। वहीं, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयंसहि ने पुलिसिया रवैये को संदेहास्पद करार देते हुए कहा कि कानून मंत्री को एक मामूली मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के तरीके से लगता है कि पुलिस का रवैया निरपेक्ष नहीं है। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि इस पूरे प्रकरण में गृह मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय दिल्ली पुलिस केस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करता है।
 
इन सवालों के बीच एक बड़ा सवाल है कि 70 में से 67 सीटें देकर आम आदमी पार्टी को जिताने वाली दिल्ली की आवाम पांच सालों तक सिर्फ सवालों से रूबरू होती रहेगी या फिर उसे कोई जवाब भी मिलेगा। 

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