Thursday 7 January 2016

'पकड़े जाओ तो ये फूल और कागज दिखा देना'

तारीख 1 जनवरी यानि दिल्ली सरकार की ओर से विषम (ऑड) नंबर के वाहनों का राजधानी की सड़कों पर फर्राटा भरने का दिन। लेकिन सम (इवेन)-विषम (ऑड) के झंझट से अनजान नोएडा का एक परिवार नया साल मनाने के लिए चौकीधाणी के लिए निकल पड़ता है, वह भी सम नंबर की कार लेकर। घर से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर जाने के बाद कार में बज रहे एफएम रेडियो से परिवार को पता चलता है कि राजधानी में प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए दिल्ली सरकार ने सम तारीख के दिन सम नंबर की और विषम तारीख के दिन विषम नंबर की गाड़ियों के चलने का दिन मुकर्रर किया है। 


रेडियो पर इतना सुनने के बाद उनके मन में एक साथ कई प्रश्न उठने लगे कि क्या नया साल हमें चौकीधाणी के बदले घर में ही मनाना होगा? यदि आगे पुलिस ने पकड़ लिया तो क्या होगा? कहीं चालान भरने के बाद भी घर तो नहीं लौटना पड़ेगा? इस बीच कार में बैठी उस परिवार की आठ साल की मासूम लाडली ने सुझाव दिया कि यदि कोई पुलिस वाला पकड़ेगा तो कह देंगे कि एक परिचित फलां अस्पताल में भर्ती है और हम उन्हें ही देखने जा रहे हैं। इन बातों के बीच कब खजूरी खास इलाका आ गया, पता ही नहीं चला।


खजूरी-खास से आगे बढ़ने पर पुलिस की चार लोगों की एक टीम बैरिकेड लगाए दिल्ली सरकार का हुक्म बजाने के लिए मुस्तैद दिखी। सड़क के एक लेन में लगे दो बैरिकेडों के बीच से एक-एक कर गाड़ियां निकल रही थीं। उस परिवार की कार बैरिकेड से थोड़ी पीछे थी, तभी उनके कार के बगल से एक सम नंबर की कार निकली, जिसे बैरिकेड के पास रोक दिया गया। वहां तैनात दिल्ली पुलिस के एक जवान ने कार को साइड में लगाने को कहा और उसके दस्तावेज की जांच करने लगा। इस बीच कई बार उस जवान के हावभाव बदले। आखिर में वह कार चालक को सड़क के किनारे बने एक केबिन में ले गया, जहां से कुछ समय बाद कार चालक केबिन में बैठे पुलिस वाले से हाथ मिलाकर मुस्कुराते हुए निकला। उसके हाथ में गेंदे की दो फूल और दिल्ली सरकार की ओर से लोगों को सम-विषम के प्रति जागरूक करने वाली एक पर्ची थी।


इस बीच नोएडा से चौकीधाणी के लिए निकले परिवार की कार भी बैरिकेड से होकर गुजरने लगी, तभी वहां मुस्तैद जवान की नजर कार पड़ी सम नंबर की कार देखकर जवान ने कार को सड़क के किनारे रोकने का इशारा किया। थोड़े डर और अब क्या होगा जैसे मन में उत्पन्न हो रहे कई सवालों के बीच कार चला रहे शख्स और उस परिवार के मुखिया ने सड़क किनारे कार रोकी। तकरीबन दो-तीन मिनट के इंतजार के बाद वहां पुलिस का एक जवान आया और कार के आगे खड़े होकर घूरने लगा। उसे घूरते देख कार में बैठे सभी एक-दूसरे का मुंह देखने लगे, तभी पुलिस वाले ने कार के शीशे पर नॉक करना शुरू किया। शीशा खुलते ही उसने कहा कि पढ़े-लिखे नहीं हो क्या? तुम्हें पता नहीं है आज विषम नंबर की गाड़ियों के चलने का दिन है और तुम सम नंबर की कार लेकर हमारी परेशानी बढ़ाने निकल पड़े। सरकार तो सरकार तुम लोग भी हमें चैन से जीने नहीं दोगे। चलो अब ज्यादा सोचो मत...गाड़ी के कागज दिखाओ। अच्छा, इंश्योरेंस भी पुराना है। प्रदूषण वाला कागज तो ठीक है। लाइसेंस दिखाओ अपना...अरे ये भी ठीक है। 


कुछ देर सोचने के बाद पुलिस का वह जवान कार उस शख्स से कहता है कि तुम्हें सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बारे जानकारी है या नहीं, जिसमें कहा गया है कि वाहनों के शीशे पर किसी प्रकार की फिल्म नहीं लगी होनी चाहिए। शीर्ष कोर्ट के इस आदेश से अनजान शख्स नहीं में सिर हिलाता है। तभी पुलिस वाला कहता है कि आज तो तुम लंबा नपोगे। उतरो गाड़ी से और चलो साहब के पास।

मरता क्या न करता। वह शख्स अपनी कार से उतरकर उस जवान के साथ सड़क किनारे बने केबिन की ओर बढ़ने लगा। तभी केबिन से निकले पुलिस के एक जवान ने कहा कि साहब को फूल दो भाई। जवान के मुंह से इतना सुनने के बाद वह शख्स यह सोचकर डरने लगा कि कहीं उसे माला पहनाकर उसकी फोटो तो नहीं खिंची जाएगी। इसी डर के साथ वह केबिन में घुसा और सामने कुर्सी पर बैठे पुलिस वाले से हाय हैलो किया। तभी कार से केबिन तक लाने वाले जवान ने केबिन में बैठे पलिसवाले से कहा कि सर...इनका तो 3000 रुपये का चालान बनता है। इतना कहकर वह जवान केबिन से बाहर निकल गया।3000 रुपये का नाम सुनते ही सकपकाए शख्स ने केबिन में बैठे जवान से कहा- सर, कुछ ले देकर मामला खत्म कीजिए। हम परिवार वाले हैं। सप्ताह में कभी-कभार इस तरह छुट्टियां मिलती है, इसलिए परिवार के साथ नया साला मनाने जा रहा हूं। एक छोटी बच्ची भी है, नहीं जाने पर नाराज हो जाएगी। 


इतना सुनकर पुलिस वाला कहता है कि भई ठीक है...हम आपका खयाल रखते हैं और आप हमारा रखें। इसके बाद वह शख्स अपनी जेब से 500 रुपये का एक करारा नोट निकालकर पुलिस की ओर बढ़ा देता है। पैसा लेने के बाद पुलिस वाला उसे दो गेंदे के फूल और दिल्ली सरकार की ओर छपवाए गए अपील वाला पर्चा उसे पकड़ा देता है और कहता है कि जाइए साब...परिवार के साथ मौज कीजिए। हमलोग तो केजरीवाल सरकार की मनमानी का शिकार हो ही रहे हैं। चलिए, 15 दिन की बात है। इसके बाद सारा लफड़ा ही खत्म हो जाएगा। और हां साब, जब से इसकी सरकार बनी है, जीना हराम कर रखा है। खैर, आप इंज्वॉय कीजिए और आगे कोई पुलिस वाला पकड़े तो ये गेंदे के फूल और कागज दिखा देना। कोड वर्ड है। पुलिस वाले समझ जाएंगे।